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हरिणा मेला में युवा का जेंडर हिंसा के खिलाफ जागरूकता अभियान जारी

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जमशेदपुर।सामाजिक संस्था यूथ यूनिटी फॉर वोलंटरी एक्शन ( युवा ) एवं कॉमिक रिलीफ क्रिया के संयुक्त तत्वावधान में पोटका प्रखंड के हरिणा में जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ तीन दिवसीय जागरूकता  शिविर कल से शुरु हुआ और यह जागरूकता शिविर 18 जून तक चलाया जाएगा | इस शिविर का नेतृत्व पोटका प्रखंड की 15 पंचायत की लड़कियों एवं महिलाओं द्वारा किया जा रहा है | शिविर के दूसरे दिन भी महिलाओं के साथ हो रही हिंसा और बढ़ती असुरक्षा को लेकर लोगों से बात की गई । हिंसा की पहचान जैसे शारिरिक, मानसिक, यौनिक, भावनात्मक, आर्थिक और डिजिटल हिंसा पर जानकारी दी गई। महिलाएं अपने साथ हो रही हिंसा की पहचान करें और इसका विरोध करें ।  लड़कियों का पहनावा, गतिशीलता, शिक्षा, शादी, पसंद, निर्णय लेने को लेकर भेदभाव हो रहा है आज भी घर में, समाज में लड़कियों महिलाओं की यौनिकता को नियंत्रित किया जा रहा है और उनको अधिकारों से वंचित किया जा रहा हैं ।  शिविर में आई महिलाओं ने कहा कि जो लडकियां, महिलाएं खुद के साथ या अपने आस पास हो रही हिंसा का विरोध करती है उन्हें बुरी महिला कहा जाता है और चुप करा दिया जाता है ।हिंसा की पहचान नहीं थी ब

Ramraj @MantraMeditation6666 #trending #ramayan #hindu #spiritual #moti...

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Ramraj

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अपमान का जवाब कैसे दें

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 हम सभी के आसपास कुछ लोग ऐसे होतेहैं जो हमारे बारे में हमेशा नेगेटिव कमेंट करते हैं।  वे जब भी हमें देखते हैं तो कुछ ऐसा बोलते हैं जो हमें सुनकर अच्छा नहीं लगता। हम अपमानित महसूस करते हैं। कभी-कभी इससे हमें बहुत गुस्सा आ जाता है और हमारा व्यवहार भी नकारात्मक हो जाता है। फिर क्या किया जाए कि जो लोग हम पर निगेटिव कमेंट कर रहे हैं या हमें अपमानित कर रहे हैं उनके साथ हम कैसा व्यवहार करें ।  इस बारेमें वीडियो में डिटेल में बताया गया है। वीडियो देखें और वीडियो में बताई गई चीजोंको अपनाने का प्रयास करें। वैसे ही इसमें जो कुछ भी बताया गया है ज्यादा कठिन तो नहीं है हमें अपने व्यवहार को शांत रखने में कभी-कभी समस्या आतीहै लेकिन यही हमारी चुनौती है तो आइए इस चुनौती का सामना करते हैं।

JORAM film Review

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JORAM' फ़िल्म मुझे कैसी लगी  मनोज बाजपेई की फिल्म ' जोराम ' जिसे कई पुरस्कारों से नवाजा गया है के बारे में बात करते हैं। मुझे यह फिल्म कैसी लगी।  यह फिल्म एक ऐसे पिता की है जो व्यवस्था से भाग रहा है अपनी बच्ची को लेकर. एक पिता का दर्द, एक मजदूर की त्रासदी, शोषण से लड़ रहे एक ऐसे व्यक्ति की कहानी जो गरीब है, जो व्यवस्था से मजबूर है, जो लाचार है, और जो चाहता है कि उसके जल, जंगल, जमीन बचे रहे। जो चाहता है की पुरानी सभ्यता बची रहे। लोगों में इंसानियत बची रहे। यह फिल्म ऐसे सत्ता के ठेकेदारों और उनका सामना करने वाले लोगों की सच्ची दास्तां है।  झारखंड के आदिवासियों पर  आधारित यह कहानी एक ऐसे मजदूर की कहानी है जो मुंबई के  कंक्रीट के जंगलों में कमाने के लिए जाता है और व्यवस्था का शिकार हो जाता है । यह फिल्म OTT पर भी रिलीज हो चुकी है, अगर आप ज़रा भी सामाजिक सरकारों के प्रति जागरूक हैं तो इस फिल्म को जरूर देखें या फिल्म पूरे परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती है बेहतरीन अभिनय तथा चुस्त निर्देशन के लिए आप इसे याद रखेंगे। नीचे दिए गए लिंक पर जाकर review को अपने लाइक और शेयर से आगे बढ़ाए