व्यक्तित्व कैसे निखारे
खास होना किसे अच्छा नहीं लगता.. भीड़ में अलग होना, लोगों पर अपनी अलग छाप छोड़ना.. दूसरों के मन में बस जाना..
हम सब की ख़्वाहिश होती है कि हमें लोग प्यार करें... हमें चाहें, हमें सराहें लेकिन ऐसा हो नहीं हो पाता। सब के पास मित्र होते हैं और सब के अपने शत्रु होते हैं।
सबसे जरूरी बात यह है कि हमें मालूम हो कि हम कैसे हैं?हमारी खूबियां, खामियां, उपलब्धियां, सफलताएं असफलताएं हमारे अंदर के गुण और हमारे राज यह सब हमें पता होना चाहिए। हमें यह भी पता होना चाहिए कि क्या हम बहुत बेहतर कर सकते हैं और क्या हम नहीं कर सकते । हमारी सीमाएं क्या है?
आज हम जानेंगे कि अपने व्यक्तित्व को और बेहतर कैसे बना सकते हैं? सबसे पहले हमें अपने व्यक्तित्व का एक आकलन करना पड़ेगा कि हम कैसे हैं और आकलन करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर हमें विचार करना होगा। सबसे पहला कि हमारी पर्सनालिटी या व्यक्तित्व किस प्रकार का है ।
हम अपने व्यक्तित्व को दो प्रकार से समझ सकते हैं। सबसे पहला है कि हमारा वाह्य व्यक्तित्व या बाहरी व्यक्तित्व किस प्रकार का है और दूसरा यह है कि हम अंदर से किस प्रकार के हैं अर्थात हमारा आंतरिक व्यक्तित्व किस प्रकार का है।
बाहरी व्यक्तित्व
बाहरी व्यक्तित्व का अर्थ है कि हम कैसे दिखते हैं? हमारा रंग, रूप , पहनावा, उठना, बैठना इत्यादि। क्या लोग हमारे कपड़ों पर ध्यान देते हैं क्या हम जो भी पहन कर निकलते हैं लोग उसकी तारीफ करते हैं क्या लोग हमारे कपड़ों को हमारे चलने फिरने के अंदाज से प्रभावित होते हैं? क्या लोग हममें हमेशा कमियां निकालते हैं? क्या हमारे रंगों का चुनाव लोगों को पसंद आता है इत्यादि।
इन सारी चीजों पर अगर हम ध्यान दें और अपने लिए एक सूची बनाएं कि दिन भर में कितने लोगों ने हमारे कपड़ों को नजर भर कर देखा या हमें कितना पसंद किया तो हम यह समझ सकते हैं कि हमारा बाहरी व्यक्तित्व प्रभावित करने वाला है या नहीं।
दोस्तों अपने व्यक्तित्व को हम हमेशा निखार सकते हैं, सुधार सकते हैं और उसमें परिवर्तन ला सकते हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है कि हम अपने आप को पहचाने। अगर लोग हमें पसंद नहीं करते हैं तो हम क्या ऐसा करें कि हम लोगों के बीच छा जाएं।
लोग हमसे प्रभावित हों उसके लिए हमें खुद से प्रभावित होना होगा। आप दूसरों की पसंद तब ही बन सकते हैं जब आप खुद को पसंद करेंगे। तो क्यों न आज से ही हम खुद को ऐसा बनाएं कि हमें खुद से प्यार हो जाये।
आंतरिक व्यक्तित्व
आंतरिक व्यक्तित्व हमारी शिक्षा, हमारी परवरिश, हमारे समुदाय, हमारी संस्कृति और हमारे नजरिये से बनता है। किसी व्यक्ति या किसी घटना को हम किस प्रकार देखते हैं यह हमारा आंतरिक व्यक्तित्व निर्धारित करता है।
दोस्तों आपने देखा होगा ट्रैफिक जाम होने पर कई लोग बेहद बेचैन हो जाते हैं, वे सोचते हैं कि किसी प्रकार से इस जाम से बाहर निकल जाएँ भले ही उन्हें पांच- दस मिनट देर होने से कोई ख़ास नुकसान न होने वाला हो। वे लगातार हार्न बजाते हैं, इधर-उधर से निकलने की कोशिश करते हैं, अपने साथी पर चिल्लाते हैं और जब तक जाम से नहीँ निकल जाते तब तक परेशान होते रहते हैं।
वहीं दूसरी तरफ़ कुछ लोग ट्रैफिक जाम में अपनी गाड़ी को आराम से रोक कर शाति से संगीत सुनते हैं, बजते हुए गानों के बोलों पर ध्यान देते हैं, आसपास के माहौल का जायजा लेते हैं, अपने साथी से बातें करते हैं और शांत होकर ट्रैफिक जाम हटने का इंतजार करते हैं। अलग-अलग लोग एक ही परिस्थिति में अलग तरह से व्यवहार करते हैं।
गुस्सा, चिड़चिड़ापन, दूसरों में कमियां निकालना, जल्द निराश हो जाना, किसी चीज पर एकाग्र होकर काम न कर पाना और हमेशा दूसरों से झगड़ा करते रहना नकारात्मक व्यक्तित्व के लक्षण हैं। ऐसे लोगों से अधिकतर लोग दूर ही रहना चाहते हैं।
दोस्तों जब हम कई लोगों से मिलते हैं तो वह हमारे बारे में कुछ न कुछ राय बनाते हैं। अब सवाल यह उठता है कि हमें कैसे पता चले कि सामने वाला व्यक्ति हमारे बारे में क्या सोचता है । Image credit pexel
उसकी मुस्कुराहट, उसकी आंखें , उसकी बातें और आप में वह जो रुचि ले रहा है ।उसको देखकर समझ सकते हैं कि आपके बारे में उसकी राय क्या है ? अगर वह आपका मित्र हैं और आपका करीबी हैं तो आप अपने बारे में उससे पूछ सकते हैं कि वह आपको किस प्रकार देखता है? क्या वह यह सोचता है कि आप अपने जीवन में सफल है? क्या उसको आपसे मिलकर खुशी होती है? क्या उसे आपके पास से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है?अगर ऐसा है तो आपका व्यक्तित्व एक ऐसा व्यक्तित्व है जो लोगों को सकारात्मकता की ओर ले जाता है।
दोस्तों हर इंसान में कुछ कमियां होती हैं, तो कुछ अच्छाई भी होती हैं। कोई भी परफेक्ट नहीँ होता। बस जरूरत है स्वयं को स्वीकार करने की और अपनी कमियों को पहचान कर उन्हें दूर करने की।
Good article
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