खास होना किसे अच्छा नहीं लगता.. भीड़ में अलग होना, लोगों पर अपनी अलग छाप छोड़ना.. दूसरों के मन में बस जाना.. हम सब की ख़्वाहिश होती है कि हमें लोग प्यार करें... हमें चाहें, हमें सराहें लेकिन ऐसा हो नहीं हो पाता। सब के पास मित्र होते हैं और सब के अपने शत्रु होते हैं। सबसे जरूरी बात यह है कि हमें मालूम हो कि हम कैसे हैं?हमारी खूबियां, खामियां, उपलब्धियां, सफलताएं असफलताएं हमारे अंदर के गुण और हमारे राज यह सब हमें पता होना चाहिए। हमें यह भी पता होना चाहिए कि क्या हम बहुत बेहतर कर सकते हैं और क्या हम नहीं कर सकते । हमारी सीमाएं क्या है? आज हम जानेंगे कि अपने व्यक्तित्व को और बेहतर कैसे बना सकते हैं? सबसे पहले हमें अपने व्यक्तित्व का एक आकलन करना पड़ेगा कि हम कैसे हैं और आकलन करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर हमें विचार करना होगा। सबसे पहला कि हमारी पर्सनालिटी या व्यक्तित्व किस प्रकार का है । हम अपने व्यक्तित्व को दो प्रकार से समझ सकते हैं। सबसे पहला है कि हमारा वाह्य व्यक्तित्व या बाहरी व्यक्तित्व किस प्रकार का है और दूसरा यह है कि हम अंदर से किस प्रकार के हैं अर्थात हमारा आंतरिक व्यक्ति
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